IREDA मैनेजमेंट में 3 बड़े बदलाव, 40% गिरावट के बाद BUY का बना मौका..

IREDA में 9 दिसंबर 2025 को हुए सीनियर मैनेजमेंट बदलाव कंपनी के वित्त, कंप्लायंस और लीडरशिप स्ट्रक्चर को मजबूत करने की लंबी रणनीति का हिस्सा हैं। ये बदलाव ऐसे समय में हुए हैं जब शेयर बीते एक साल में करीब 40 फीसदी तक टूट चुका है और स्टॉक में वोलैटिलिटी बढ़ी हुई है।

IREDA कंपनी की जानकारी

IREDA यानी इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी, सरकार की नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) है जो सोलर, विंड, बायोमास, स्मॉल हाइड्रो, ग्रीन हाइड्रोजन, बायोफ्यूल जैसी हरित ऊर्जा परियोजनाओं को लोन और फाइनेंस उपलब्ध कराती है। कंपनी की टर्म लोन बुक 2023 के अंत तक लगभग 47 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के स्तर पर थी और यह MNRE की कई स्कीमें इम्प्लीमेंट करने वाली प्रमुख संस्था है। भारत के 2030 तक 500 GW नॉन-फॉसिल ईंधन क्षमता और 2070 तक नेट-ज़ीरो लक्ष्य को देखते हुए IREDA को ग्रीन एनर्जी फाइनेंसिंग का केंद्रीय स्तंभ माना जा रहा है।

9 दिसंबर 2025 की बोर्ड मीटिंग और बड़ा मैनेजमेंट फैसला

9 दिसंबर 2025 को IREDA के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में कंपनी के सीनियर मैनेजमेंट, खासकर Finance & Accounts (F&A) और कंप्लायंस फ्रेमवर्क से जुड़े अहम पदों पर बड़े बदलाव और नियुक्तियां मंजूर की गईं। यह पूरा स्ट्रक्चर Nomination and Remuneration Committee की सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया और बाद में SEBI LODR Regulation 30 के तहत इसकी जानकारी NSE और BSE को भेजी गई। कंपनी का फोकस साफ है कि तेजी से बढ़ते बिजनेस वॉल्यूम, रेगुलेटरी सख्ती और बड़े प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग को देखते हुए मजबूत, अनुभवी और जवाबदेह मैनेजमेंट टीम तैयार की जाए।

Executive Director (F&A) पद पर नियुक्ति

इस मीटिंग का सबसे बड़ा निर्णय तुषारकांत परिड़ा को Executive Director (F&A) नियुक्त करना रहा, जो कंपनी की पूरी वित्तीय रणनीति और फंडिंग स्ट्रक्चर के केंद्र में रहने वाला पद है। ED (F&A) का रोल कंपनी के लिए कैपिटल जुटाने, बैंक/बॉन्ड/इंस्टिट्यूशनल निवेशकों के साथ डील स्ट्रक्चर करने, अकाउंटिंग स्टैंडर्ड्स का पालन कराने और विस्तार योजनाओं के लिए फाइनेंसिंग प्लान बनाने में बेहद अहम माना जाता है। IREDA जैसे ग्रीन फाइनेंस संस्थान के लिए यह पद NPA मैनेजमेंट, जोखिम प्रबंधन और ग्रीन बांड जैसे नए प्रोडक्ट डिजाइन करने में भी निर्णायक भूमिका निभाता है, इसलिए यहां किसी अनुभवी और प्रोफेशनल नेतृत्व की मौजूदगी निवेशकों के लिए पॉजिटिव संकेत मानी जाती है।economictimes+2​

General Manager (F&A)

दूसरा बड़ा बदलाव F&A डिवीजन में ही General Manager (F&A) के रूप में जगदीप सिंह की नियुक्ति के तौर पर सामने आया। GM (F&A) आमतौर पर डेली ऑपरेशंस, अकाउंट्स क्लोजिंग, इंटरनल कंट्रोल, ऑडिट के साथ-साथ बड़े प्रोजेक्ट फंडिंग की ड्यू डिलिजेंस और डिस्बर्सल प्रोसेस की निगरानी जैसे काम संभालता है, जिससे कंपनी की ऑपरेशनल एफिशिएंसी और वित्तीय अनुशासन मजबूत होता है। IREDA ने साफ संकेत दिया है कि F&A को ही कंपनी के ऑपरेशन का “कोर” मानकर उसी के इर्द-गिर्द ग्रोथ और रिस्क मैनेजमेंट मॉडल तैयार किया जा रहा है।

पन्नू ग्रोवर: GM (F&A) और Chief Compliance Officer

तीसरा अहम फैसला श्रीमती पन्नू ग्रोवर को General Manager (F&A) बनाने और साथ ही 30 अप्रैल 2028 तक Chief Compliance Officer (CCO) की जिम्मेदारी जारी रखने का है। वे M.Com डिग्री होल्डर हैं, Institute of Cost and Work Accountants of India की सदस्य हैं और लगभग 29 साल का अनुभव रखती हैं, साथ ही पहले Additional General Manager (F&A) के पद पर काम कर रही थीं, जिससे उनका बैकग्राउंड पूरी तरह फाइनेंस और कॉस्ट मैनेजमेंट से जुड़ा रहा है। CCO के तौर पर उनकी भूमिका SEBI, RBI, MNRE, कंपनी लॉ और अन्य रेगुलेटरी गाइडलाइन के पालन, खुलासे में पारदर्शिता और इंटरनल पॉलिसी को अपडेट रखने में अहम रहेगी, जो सरकारी NBFC के लिए रेपुटेशनल रिस्क को कम करने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है।

हाल के महीनों में IREDA के लीडरशिप बदलाव

2025 में IREDA ने सिर्फ 9 दिसंबर वाले बदलाव तक ही खुद को सीमित नहीं रखा बल्कि साल भर में कई और अहम सीनियर मैनेजमेंट फैसले भी किए हैं। अगस्त 2025 में बोर्ड ने सात नए सीनियर मैनेजमेंट पर्सनल नियुक्त किए, जिनमें जनरल मैनेजर (प्रोजेक्ट्स), एडिशनल GM (प्रोजेक्ट्स), CTO cum GM (IT) जैसी भूमिकाएं शामिल हैं, ताकि प्रोजेक्ट इवैल्यूएशन, मॉनिटरिंग और टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा सके। नवंबर 2025 में कंपनी ने Chief Risk Officer की टेन्योर तीन साल के लिए बढ़ाने के साथ कई सीनियर अधिकारियों को प्रमोशन दिया, जिससे रिस्क मैनेजमेंट, IT सिक्योरिटी और इंटरनल ऑडिट जैसे क्षेत्रों में अनुभवी लीडरशिप बनी रहे। यह पूरा पैटर्न दिखाता है कि IREDA टॉप मैनेजमेंट को लगातार “अपग्रेड” कर रही है ताकि तेजी से बदलते रिन्यूएबल एनर्जी बाजार में प्रतिस्पर्धी बनी रहे।

शेयर प्राइस पर असर और निवेशकों की हिस्सेदारी में बदलाव

9 दिसंबर 2025 को मैनेजमेंट बदलाव की खबर के दिन IREDA का शेयर करीब 2.68 फीसदी की तेजी के साथ 134.72 रुपये पर बंद हुआ, जबकि बीते एक साल में यह स्टॉक लगभग 40 फीसदी तक गिर चुका है। जुलाई 2024 में स्टॉक का ऑल-टाइम हाई करीब 283 रुपये के आसपास रहा था, जहां से यह 2025 के दौरान लगभग 40–45 फीसदी तक करेक्ट होकर अब 52-वीक लो के नजदीक रेंज में ट्रेड कर रहा है, और तकनीकी तौर पर यह अपने कई मूविंग एवरेज से नीचे दिखाई देता है। दिलचस्प बात यह है कि प्राइस करेक्शन के बावजूद रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी इरेडा में 22.39 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है, जो दिखाती है कि छोटे निवेशक गिरावट को एवरेजिंग या लॉन्ग-टर्म एंट्री के मौके के रूप में देख रहे हैं।

मैनेजमेंट बदलाव

F&A और कंप्लायंस जैसे कोर क्षेत्रों में तुषारकांत परिड़ा, जगदीप सिंह और पन्नू ग्रोवर जैसी वरिष्ठ और अनुभवी टीम को आगे बढ़ाना यह दिखाता है कि IREDA सिर्फ लोन बुक बढ़ाने पर नहीं बल्कि गवर्नेंस, रिस्क मैनेजमेंट और रेगुलेटरी ट्रस्ट को भी उतनी ही प्राथमिकता दे रही है। रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स में आम तौर पर लंबी अवधि, पॉलिसी रिस्क और टेक्नोलॉजी रिस्क ज्यादा होते हैं, इसलिए फाइनेंस स्ट्रक्चर, कंप्लायंस और रिस्क कंट्रोल मजबूत होना ही कंपनी की दीर्घकालिक स्थिरता और रेटिंग प्रोफाइल के लिए सबसे अहम फैक्टर बन जाता है। लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के नजरिए से यह मैनेजमेंट अपग्रेड एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है, हालांकि एंट्री और एग्जिट लेवल तय करते समय उन्हें प्राइस वोलैटिलिटी, टेक्निकल लेवल और अपनी रिस्क कैपेसिटी जरूर ध्यान में रखनी चाहिए।​

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